Aadmi Ka Zahar

About The Book

आदमी का ज़हर एक रहस्यपूर्ण अपराध कथा है। इसकी शुरुआत एक ईर्ष्यालु पति से होती है जो छिपकर अपनी रूपवती पत्नी का पीछा करता है और एक होटल के कमरे में जाकर उसके साथी को गोली मार देता है। पर दूसरे ही दिन वह साधारण दीखनेवाला हत्याकांड अचानक असाधारण बन जाता है और घटना को रहस्य की घनी परछाइयाँ ढकने लगती हैं। उसके बाद के पन्नों में हत्या और दूसरे भयंकर अपराधों का घना अँधेरा है जिसकी कई पर्तों से हम पत्रकार उमाकांत के साथ गुजरते हैं। घटनाओं का तनाव बराबर बढ़ता जाता है और अंत में वह जिस अप्रत्याशित बिंदु पर टूटता है, वह नाटकीय होते हुए भी पूरी तरह विश्वसनीय है। सामान्य पाठक समुदाय के लिए हिंदी में शायद पहली बार एक प्रतिष्ठित लेखक ने ऐसा उपन्यास लिखा है। इसमें पारम्परिक जासूसी कथा-साहित्य की खूबियाँ तो मिलेंगी ही, सबसे बड़ी खूबी यह है कि कथा आज की सामाजिक-राजनीतिक स्थितियों के बीच से निकली है। इसमें संदेह नहीं कि यह उपन्यास, जिसे लेखक खुद मनोरंजन-भर मानता है, पाठकों के मनोरंजन के अलावा उन्हें कुछ सोचने के लिए मजबूर भी करता है।
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