‘‘आपके हाथों में पिछले तीन दशकों से अधिक समय में लिखे गए व्यंग्य लेखन का यह चयन सौंप रहा हूँ जिसे मेरा श्रेष्ठ व्यंग्य भी कहा जा सकता है। इनमें आप पाएँगे कि राष्ट्रीय जीवन के विविध पक्ष आए हैं। इनके पीछे की जीवन दृष्टि आपको साफ़ नज़र आएगी। आज राजनीतिक विद्रुप इतना प्रखर है जितना कि आज़ादी के बाद कभी नहीं था। इस दृष्टि से व्यंग्य लेखन के लिए स्थितियाँ आज अधिक अनुकूल हैं मगर किसी लोकप्रिय अख़बार में व्यंग्य छपना अब बेहद कठिन हो गया है। ऐसा लगता है कि इस समय के शासक व्यंग्य की ताकत से काफ़ी डरे हुए हैं।’’- पुस्तक की भूमिका सेविष्णु नागर हिन्दी के प्रतिष्ठित कवि कथाकार व्यंग्यकार हैं। उनकी अभी तक 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं जिनमें व्यंग्य कविता कहानी व निबंध के अनेक संग्रह हैं और एक उपन्यास एवं किशोरों के लिए पुस्तकें भी हैं। साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें ‘व्यंग्य श्री पुरस्कार’ ‘शमशेर सम्मान’ ‘राही मासूम रज़ा साहित्य सम्मान’ ‘जनकवि मुकुटबिहारी सरोज सम्मान’ से अलंकृत किया गया है। साहित्य के अतिरिक्त वे पत्रकारिता में लम्बे समय तक कार्यरत रहे हैं।
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