Aadminama

About The Book

आदमीनामा इमरजेंसी के बाद प्रकाशित काशीनाथ सिंह का एक बहुचर्चित संग्रह है। इसमें समाज राजनीति भूख बेरोज़गारी स्वार्थ भ्रष्टाचार अर्थ का अवमूल्यन क्रान्तिकारिता के नाम पर छल आपातकाल का तांडव प्रतिबद्धता प्रतिरोध आदि का जो जीवन्त यथार्थ है वह अपने समय का बड़ा बयान है जिससे लोकतांत्रिक परिप्रेक्ष्य में बहुत कुछ समझा और सीखा जा सकता है। देखा जा सकता है कि इस संग्रह में अपनी किस्सागोई के लिए काशीनाथ सिंह के पास जो दृष्टि और भाषा की धार है वह किस तरह ज़मीनी और सरोकारपूर्ण है। और इस बात का सशक्त उदाहरण हैं ये कहानियाँ—सूचना निधन ‘माननिय’ होम मनिस्टर के नाम आदमी का आदमी मीसाजातकम् लाल किले के बाज मुसइ चा सुधीर घोषाल आदि। इस संग्रह का एक बड़ा आकर्षण है कहानी की वर्णमाला और मैं। इसमें काशीनाथ सिंह ने अपने रचना-विकास को जिस ईमानदारी और आत्मीयता के साथ व्यक्त किया है वह अनुकरणीय तो है ही एक मिसाल भी कि जीवन और कलम के बीच न फर्क ठीक न फाँक। कोई दो राय नहीं कि अपने आस्वाद में ही नहीं नई साज-सज्जा में भी आदमीनामा संग्रह पाठकों के लिए एक बार पुन: उपलब्धि साबित होगा!.
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