आद्यान्त जिसका अर्थ “आदि से अंत तक“ है। यह लेखक एवं कवि की द्वितीय (संस्करण) पुस्तक प्रस्तुति है। इसमें लेखक के पिछले 5 वर्षों की विशिष्ट काव्य-संरचना का संग्रह है। लेखक ने सामाजिक मुद्दों से लेकर जीवन-प्रणय तक चिंतनीय-चेतना व्यक्त की है। लेखक एवं कवि असिस्टेंट लेक्चरर रहें है। साथ ही शोधकर्ता इतिहासकार और उद्यमकर्ता है। ये मोक्ष और ज्ञान की नगरी बोधगया (बिहार) से संबंध रखते है। देश की आध्यात्मिक राजधानी वाराणसी एवं जनजातीय संघर्ष के गढ़ रहे झारखंड की राँची से इन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से “त्मसपहपवदए ब्वदसिपबज ंदक च्मंबम“ कोर्स का सर्टिफिकेट अध्ययन किया है। अद्वैत वेदान्त भगवान बुद्ध का मध्यम-मार्ग दर्शन एवं बिरसा मुंडा का उलगुलान इनके प्रेरणा स्तोत्र है। दिल्ली प्रवास के दौरान फोटोग्राफी और लघु-सिनेमा में गहरी रुचि हुई। 2017 में इन्होंने रणधीर सिंह (तत्कालीन कृषि मंत्री झारखंड सरकार) एवं बैद्यनाथ सिंह (झारखंड रत्न 2016) के साथ बाल-तस्करी एवं बाल-अधिकार पर लघु-फिल्म (प् ंउ भ्ंदं) के माध्यम से अभियान चलाया था। वर्ष 2021 में कोरोना से पीड़ितों के लिए भ्नदहमत.क्तपअम अभियान चलाया।
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