इस संसार में मनुष्य सबसे समझदार प्राणी है फिर भी वह गलतियों का पुतला है। समाज में समय-समय पर कुछ ऐसे परिवर्तन होते हैं जो कुछ लोगों को तो अत्यंत प्रिय लगते हैं परन्तु कुछ हमारे जैसे जीव हैं जिन्हें वो सब चीजें व्यथित कर देती हैं। इस पुस्तक के माध्यम से मैं समाज को कुछ सुझाव देने का प्रयास किया हूं। जनता इसको किस नजरिए से देखती है मुझे इसका बेसब्री से इंतजार रहेगा। धन्यवाद।किसी भी देश की अपनी कुछ परम्परायें रीति-रिवाज होते हैं जिनसे विलग होकर इन्सान अपने आप को कुछ लोगों की नजरों में विदुषक बना लेता है। व्यक्ति कितना भी महान क्यों न हो जाय परन्तु संस्कार के बिना वह पशु के समान है। जहां ज्ञान राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित कराता है वहीं संस्कार घर - परिवार और समाज में एक अलग पहचान दिलाता है। अतः विश्व के प्रत्येक व्यक्ति को अपने रीति-रिवाज और परम्पराओं का हृदय से सम्मान करना चाहिए।
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