Aaeena Bechane Vaale

About The Book

प्रस्तुत ग़ज़ल संग्रह मेरी तीसरी रचना है। इसके पूर्व ‘कब आएगा सवेरा’ और ‘अदा-ए-ग़म’ प्रकाशित हो चुकी हैं। यह कहने में संकोच नहीं कि प्रस्तुत कृति मेरी वैचारिकी की तीसरी पीढ़ी है। इस संग्रह के केंद्र में वह मनुष्य है जो छल-छद्म से भरी दुनिया का दंश झेल तो रहा है पर उससे मुक्त होने का न तो कोई उपाय अभी तक ढूंढ़ पाया है और न ही ढूंढ़ना चाहता है। इस कृति में दर्द है तो सुकून भी पीड़ा है तो प्रसन्नता भी राग है तो विराग भी धोखा है तो विश्वास भी द्वंद्व है तो आत्मविश्वास भी जीवन है तो मृत्यु भी और भौतिकता की चकाचौंध है तो जीवन की निस्सारता भी।
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