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About The Book
Description
Author
इस ग़ज़ल-संग्रह की बहुत सी ग़ज़लें सत्ता पक्ष के विरोध नहीं अपितु प्रतिरोध के आस-पास नज़र आती हैं और ऐसा करना साहित्यकार की नैतिक एवं सामाजिक ज़िम्मेदारी बनती है। सच्चे अर्थों में साहित्यकार सदैव ‘विपक्ष के पक्ष’ अर्थात् सकारात्मकता की बात करता है और ये बातें ही उसे चाटुकार की जगह साहित्यकार सिद्ध करती हैं।