Aaina Saaz
Hindi

About The Book

ख़ुसरो एक पैदा हुआ मध्यकालीन कहे जानेवाले उस साँवले हिंदुस्तान में जिसकी छतें इतनी ऊँची होती थीं कि हम बौनों की तिमंजिला बाँबियाँ उनमें खडी हो जाएँ । यह उस ख़ुसरो की आत्मकथा से रचा हुआ उपन्यास है जिसमे ख़ुसरो की चेतना को जीनेवाले आज के कुछ br>सूफ़ी मन वालों की कहानी भी साथ में पिरो दी गई है । ख़ुसरो इस कथा में अपना वह सब बताते हैं जिस तक हम उनकी नातों कव्वालियों और पहेलियों की ओट में नहीं पहुँच पाते-कि उनका एक परिवार था एक बेटी थी बेटे थे पत्नी थी और थे निजाम पिया जिनकी निगाहों के साए तले उन्होंने वह सब सहा जो एक साफ़ हस्सास दिल अपने खून-सने वक्तों और बेलगाम सनकों से हासिल कर सकता था । और इसमें कहानी है सपना की नफ़ीस की ललिता दी और सरोज की भी जो आज के हत्यारे समय के सामने अपने दिल के आईने लिये खड़े हैं लहूलुहान हो रहे हैं पर हट नहीं रहे जा नहीं रहे क्योंकि वे उकताकर या हारकर अगर चले गए तो न पदिमनियों के जौहर पर मौन रुदन करनेवाला कोई होगा न इंसानियत को उसके क्षुद्रतर होते वजूद के लिये एक वृहत्तर विकल्प देनेवाला ।.
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