Aaj Fir Teri Yaad Aayi Hai…


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About The Book

ज़िन्दगी के सफ़र में ना जाने हम कितने अंजान लोगों से मिलते हैं और उन अंजान लोगों में से कुछ लोग जाने-पहचाने बनते हैं। उन जाने-पहचाने लोगों में से कुछ लोग ज़िन्दगी से दूर चले जाते हैं और कुछ लोग अपने बनकर रह जाते हैं। अभी तो ज़िन्दगी के सफ़र में ना जाने कितने अंजाने लोगों से मिलना बाकी है और उन अंजान लोगों में से कुछ लोग जाने-पहचाने बनकर अपने बनकर रह जाएँगे और कुछ लोग जाने-पहचाने होकर भी उनका अंजान हो जाना बाकी है।
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