‘आजादी के सालों बादः क्या खोया क्या पाया ? संभवतः अपने ढंग की अमूल्य धरोहर है जिसमें स्वतंत्रता के पचहत्तर वर्षों बाद अपने क्या खोया और क्या पाया का विवेचन है। इस कृति में नये-पुराने प्रकाशित-अप्रकाशित चर्चित-अचर्चित लेखको के विचारो का संग्रह है। उनके इस विचारों से संपादक प्रकाशक या आप पाठक सहमत हो आवश्यक नहीं लेकिन उस पर विमर्श अपरिहार्व है। इसी महत् उद्देश्य को उपस्थित करके आप लोगों कें समक्ष यह कृति समर्पित है। कोई भी कृति पूर्ण हो यह जरूरी नही लेकिन स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात इस विशाल खण्ड में लेखकों ने अनेक महत्वपूर्ण विषयों को स्पर्श ही नहीं किया वरन उल्लेखनीय सूचनाओं से अवगत कराकर और अन्य तथ्यों को अनावृत्त करके पाठकों को चिंतन का एक मंच तो दिया ही है। इस तरह ये सभी लेखक प्रमाणिकता के प्रकटीकरण और तथ्यान्वेषण के क्रम में नवोन्मेष के उद्घाटन के लिए बधाई के पात्र है। इस नये विषय को लेकर संपादित की गयी इस कृति से न केवल छात्र वरन सामान्य पाठक व विद्धत वर्ग लाभान्वित होंगे ऐसी आशा की जाती है। पाठको की प्रतिक्रिया प्रतीक्षित रहेगी। शुभकामनाओं सहित -
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