AAKASH PANKH NAHI DETA
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About The Book

अनिल मिश्र की कविताएँ गहरे अख़लाक और गहन प्रेक्षण की कोमल और साथ ही साथ कठोर अभिव्यक्तियों की अब्सार हैं जहाँ ‘पेट में अज्ञात चक्रवात उठते हैं’ और ‘आकाश में धुएँ की एक चादर टँगी रहती है’। यहाँ पंक्तियोंसतरों और जनमाध्यमों में व्याप्त छिछली राजनीति के यथार्थ को ही नहीं पंक्तियों के बीच के रिक्त स्थान की गम्भीर कूटनीति को भी समझा और व्यक्त किया गया है। प्रतिगामी शक्तियों का ऐसा काव्यात्मक प्रतिरोध कम ही देखने को मिलता है। सम्भाव्य की कला किसी कालातीत अव्याख्येय को पहचानकर उसे क़लम स्याही और दवात के माध्यम से काग़ज़ पर शोरगुल से दूर रहकर उतार ले जाना निर्जीव चीज़ों तक की भी भावनाओं और संवेदनाओं को समझने की क़ूवत रखना बड़े होकर भी बड़प्पन की कोई नुमाइश न करना और यथार्थ की परतों को छीलकर उद्घाटित कर ले जाना अनिल मिश्र की कविता के बुनियादी अभिलक्षण हैं। अनिल मिश्र बहुत ज़्यादा महसूस किये जा सकने वाले बारीक़ सम्प्रेक्षण के सुसंगठित कवि हैं। अनिल मिश्र की कविताओं में उपाश्रितवर्गीय इतिहास को वज़नदार कथ्य और सधे हुए शिल्प के साथ पेश किया गया है। यहाँ किसी क़िस्म की कोई क्षिप्रहस्तता नहीं है। --- प्रांजल धर (कवि-समीक्षक)
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