आधुनिक हिंदी कविता के बड़े हस्ताक्षर आनंद शंकर जी ने इतने कम समय में जो सुख्याति प्राप्त की है वह वास्तव में इनकी कविताओं का ही प्रभाव है। प्रेम की प्रबलता को अपनी कविताओं में स्वर देनेवाले आनंद जी बिहार के पटना जिले के छोटे-से शहर मोकामा के रहने वाले हैं। कविता ही इनका कर्म मर्म और धर्म है। इन्होंने कई गद्य रचनाएँ भी की हैं लेकिन इनकी प्रसिद्धि का मूल कारण कविता ही है। नयी कविता-धारा को मुखर स्वर देने के कारण समकालीन कविता में इनकी दमदार उपस्थिति है। पाठकों और श्रोताओं का एक बड़ा वर्ग इन्हें विशिष्ट शैली के लिए पसंद करता है। नयी पीढ़ी के युवा इन्हें पढ़ने-सुनने को बेताब रहते हैं। प्रेम-विषयक कविताओं में ये सिद्धहस्त हैं। इनकी गायन कला भी बेजोड़ है। कवि सम्मेलनों में जब इनका मुक्त-कंठ गायन होता है तब उपस्थित जनसमूह आनंद के पारावार में डूब जाता है।
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