दुष्प्रचार के नए आयाम पैदा हो गए हैं। व्हाट्सएप फेसबुक ट्विटर और जाने कितनी सोशल मिडिया के आयाम उत्पन्न हो गए हैं जिनका इस्तेमाल सुप्रचार के लिए कम दुष्प्रचार के लिए अधिक हो रहा है। लोग भी बिना सोचे समझे किसी भी तथ्य की सत्यता जाने बिना जाने कितने लोगों को फॉरवर्ड कर देते हैं। इस तरह नफरत करने वालों की फौज तैयार की जा रही है। कोई कहता है कि हिंदू धर्म खतरे में है कोई कहता है कि मुसलमान खतरे में हैं कोई कहता है कि ईसाई खतरे में हैं। पर कोई नहीं कहता कि असलियत में इन सब धर्मों की वजह से इंसानियत खतरे में है। कोई कहता है कि खलीफ राज वापिस लाएंगे कोई कहता है कि हिंदू राष्ट्र बनाएंगे। कोई कहता है ईसाईयत सब जगह फैलाएंगे। सारे धर्म अहिंसा के पक्षधर फिर हिंसा की बातें क्यों? सब धर्म प्रेम के पक्षधर फिर नफरत की राजनीति क्यों?
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