आखिरी आवाज़ हिन्दी के विख्यात साहित्यकार रांगेय राघव का एक उत्कृष्ट उपन्यास हैँ। अपनी अदभुत कल्पना-शक्ति असाधारण प्रतिभा के द्वारा उन्होंने एक साधारण से कथानक को इतनी खूबसूरती से वर्णित किया है कि पढ़त्ते-पढ़ते पाठक रोमांचित हो उठता है। गांव में सरपंच दरोगा और ऊंची पहुँच वाले धवानों की किस तरह तूती बोलती है कि साधारण ग्रामीण अन्याय के विरुद्ध आवाज तक नहीं उठा सकता। साथ ही मानवीय उद्वेगों दंभ और घूसखोरी आदि सामाजिक बुराइयों को भी लेखक ने बडी ही सालता से बेनकाब किया हैं।
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