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About The Book
Description
Author
अरे ! ये क्या हुआ? “क्या हुआ सोना-मोना को? ये खून से लथ-पथ कैसे हो गईं? पापा-मम्मी सिर पटक-पटककर रो रहे हैं। अपनी पोतियों के लिए। हमारा तो वंशनाश हो गया भगवान् ! हमारी बहू अब कभी माँ नहीं बन सकती। सोचा था दोनों पोतियों को देखकर जी लेंगे सत्यानाश हो उस ट्रक वाले का जिसने इनकी ऑटो को टक्कर मार दी। अब हम क्या करें भगवान् किसके सहारे जिएँ? मम्मी को रोते उसने पहली बार देखा था। | बड़ी कड़क औरत हैं आँसुओं की इतनी मजाल कहाँ कि उनकी पलकों की देहरी लाँघ जाएँ। वह रोना चाहती थी अपनी सोना-मोना के लिए किंतु कंठ से आवाज । नहीं निकल रही थी। उसने पूरा जोर लगाया “हाय मेरी बच्चियाँऽ! अब मैं किसके लिए जिऊँगी? मुझे उठा ले भगवान् ! उसने अपने हाथों से कसकर अपना गला दबाने का प्रयास किया। किंतु कुछ न हो सका।“सोना-मोना के लिए तो इतना रो रही है और जिसे गर्भ में ही मार दिया उसका क्या? ले भोग बेटी को मारने की सजा। अब इस जन्म में तुझे कोई माँ नहीं कहेगा। एक पहचानी सी आवाज गूंजी थी उसके कानों में “हाँ! मैंने पाप तो बहुत बड़ा किया परंतु इसमें इनका क्या दोष? मुझे क्षमा कर दो हे ईश्वर ! मेरी सोना-मोना को मेरे पापों की सजा मत दो उन्हें जीवनदान दे दो! -इसी संग्रह से बदलते भारतीय समाज में पैदा हो रही नई चुनौतियों और विसंगतियों को पुरजोर ढंग से उठाकर उनका समाधान बतानेवाली प्रेरक मनोरंजक एवं उद्वेलित कर देनेवाली पठनीय कहानियाँ.