प्रभात कटारे पिछले दो-तीन साल से लोक भाषा बुंदेली में कविताएं लिऽकर बहुत से श्रोताओं और पाठकों के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल हुए हैं। वे समकाल के ऐसे रचनाकार हैं जो राजनैतिक प्रतिरोध को बिना किसी भय या संकोच के कविता के माध्यम से जनमानस के बीच रऽते हैं। उनकी राजनैतिक समझ तीक्ष्ण होने के साथ-साथ भला और बुरा का निर्णय विवेक भी रऽती है। और इसीलिए वह आमजन के पक्ष में ऽड़े होकर अपनी असहमतियों को कविता के माध्यम से दर्ज करवाते रहते हैं।
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