दिव्या श्री एकदम नई कवयित्री हैं उन्होंने 2018 से लिखना शुरू किया और बहुत प्रारंभ में ही अपनी कहन शैली से पाठकों का ध्यान आकर्षित करने में सफल हो गईं। यह उनका पहला संग्रह है। इसमें पारंपरिक जीवन में स्त्री के संघर्ष किसान की बेटी होने की मुश्किलें और पितृ-प्रेम से वंचित लड़कियों के दुख के भी मार्मिक चित्रण हैं लेकिन इस संग्रह के केंद्र में है प्रेम और विपरीत परिस्थितियों में भी प्रेम को ज़िंदा रखने की कला। — मदन कश्यप
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