‘बेज़बाँ मंज़र’ के उर्दू रस्मुलख़त में शाया (प्रकाशित) होने पर जो लोग उर्दू पढ़ सकते थे उन्हें किताब पाकर ख़ुशी हुई मगर जो लोग उर्दू पढ़ना नही जानते और मेरी ग़ज़लें पढ़ना चाहते हैं ज़ाहिर है उन्हें निराश होना पड़ा। ऐसे तमाम लोगो ने मुझ से देवनागरी लिपि में किताब प्रकाशित करवाने का अनुरोध किया तो मैंने देवनागरी लिपि में किताब के लिए कुछ चुनिन्दा ग़ज़लें ‘बेज़बाँ मंज़र’ से और कुछ ग़ज़लें ‘बेज़बाँ मंज़र’ के शाया होने के बाद कही गयी नयी ग़ज़लो में से चुनकर किताब का मुसव्वदा मुकम्मल किया जिसे प्रकाशित करवा कर आपके मुबारक हाथो में सुपुर्द करके अपना फ़र्ज़ अदा कर रहा हूँ। इस किताब का मुसव्वदा तैयार करने में जनाब शकील ग्वालियरी साहब के बेश क़ीमत मशविरे के लिए उनका तहे-दिल से मश्कूर और ममनून हूँ। मैं अपने छोटे बेटे राहुल और नातिन कु. शुभी का भी मुसव्वदा की टाइपिगं में मदद के लिए शुक्रगुज़ार हूँ इसके अलावा जिन दोस्तों ने मुझे स्तों हिदी में मेरी ग़ज़लो की किताब प्रकाशित करवाने के लिए प्रोत्साहित किया है या अन्य किसी भी तरह से मेरे मददगार रहे है उन सबका भी हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.