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About The Book
Description
Author
बचपन से ही मुझे फिल्मों में काफी दिलचस्पी रही है। एक दिन यूंही एक फिल्म देखते देखते मेरे मन में ये ख्याल आ गया कि आखिर हर फिल्म में आतंकवादी का किरदार हमेशा मुसलमानों से ही क्यूं ताल्लुक रखता है। और फिर मैं निकल पड़ा अपने इस मन के ख्याल की खोज में। अपने इस सफ़र में मैं रूबरू हुआ इस्लामिक आतंकवाद से शांति के संदेश देने वाले धर्म के आतंकवाद के ताल्लुकात से लोगों के मन में घोले जा रहे ज़हर से अपने फायदे के लिए दुनिया को मुसलमान और गैर मुसलमान में बांटने वाली मानसिकता से आतंकवाद के खौफनाक चेहरे से और आतंकवाद के मुखौटे के पिछे छिपे उस मासुम चेहरे से भी। खैर सच की तालाश में निकलना बेहद आसान है उसके साथ साहस करके चंद कदम चलना भी आसान है। हां मगर उसी सच की तह तक पहुंच कर उसे विश्व ल पर उजागर करना बेहद ही मुश्किल है। और इस किताब के माध्यम से मेरा उद्देश्य भी यही है की सच को सच बताना। आतंकवाद के असल चेहरे से आपको रूबरू कराना। इश्वर ने हमें इंसान बना कर भेजा है सिपाही नहीं आइए जिंदगी जीते हैं। - पुष्कर विहारी.