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About The Book
Description
Author
शांडिल्य ने बड़ा स्वाभाविक सहज-योग प्रस्तावित किया हैं। ओशो कहते हैं जो सहज है वही सत्य है जो असहज हो उससे सावधान रहना। असहज में उलझे तो जटिलताएं पैदा कर लोगे। सहज से चले तो बिना अड़चन के पहुंच जाओगे---- इन अपूर्व सूत्रो पर खूब ध्यान करना। इनके रस में डूबना। एक-एक सूत्र ऐसा बहुमूल्य है कि तुम पूरे जीवन से भी चुकाना चाहो तो उसकी कीमत नहीं चुकाई जा सकती। ओशो ओशो द्वारा ॠषिवर शांडिल्य के भक्ति-सूत्रों पर दिए गए प्रवचनों को दो भाग में ‘अथातो भक्ति जिज्ञासा’ शीर्षक से डायमंड पॉकेट बुक्स द्वारा प्रकाशित किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक में चालीस अमृतत प्रवचनों में से प्रथम प्रवचनों का संकलन है।