*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹179
₹200
10% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
रमेश जी जम्मू-कश्मीर जैसे अहिन्दी भाषी प्रांत के एक प्रतिष्ठित हिन्दी कवि हैं। उनकी रचनाएं आस-पास के समाज से उपजी हैं। उनकी रचनाएं मन का द्वार खटखटाती नहीं अपितु सीधी अंतस में जा उतरती हैं। उनका काव्य अनुभूतियों संवेदनाओं वात्सलय रहस्यवादी चिंतन का काव्य है । कवि उस समाज की बात करता है जिसका स्वयं वह हिस्सा है। वह बड़ी सहजता और अपनी रचनाओं भावनाओं से पाठक को रू-ब-रू करता है।<br>जहां मानवीय संवदेना भूख-प्यास और मानसिक पीड़ा है वहां आत्म-सम्मान और खुद्दारी के सजीव चित्र भी आपको मिलेंगे-<br>“आसमान हूँ सूरज की रोशनी<br>अपने साथ लिये चलता हूँ मैं<br>या फिर<br>मैं समुद्र हूँ गहरा<br>बहुत कुछ समेटे हुए।<br>बरगद का पेड़ हूँ<br>अपने में वक्त लपेटे हुए।”