Aazadi Mera Brand

About The Book

लोग कहते हैं कि बचपन के दिन सबसे ख़ास होते हैं कोई टीन-एज खास बताता है तो कोई ट्वेंटीज़| मुझे तो ये वाली उम्र सबसे खास लगती है जिसमे मैं हूँ। तीस को टच करती सहज-सी छुपी-सी आसान-सी उम्र। हार्मोन्स रह-रह के उबाल नहीं मारते नए-नए क्रश रात-रात भर नहीं जगाते ब्रेक-अप्स रात-रात भर नहीं रुलाते। कहने को आप बोरिंग कह सकते हैं लेकिन मुझे बहुत खास लगती है यह उम्र। किताब पढ़ते हैं तो बस पढ़ते ही जाते हैं बिना कोई मिस्ड कॉल या बैकग्राउंड में किसी की याद लिए। अपना पैसा थोड़ा कमा लिया है तो पूरी आज़ादी लगती हैं— घूमने की पहनने की बोलने की फ़िरने की। -अनुराधा बेनीवाल
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