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Description
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यह कहानी परम सुंदरी कम आयु में विधवा रेवती की है। जब वह घबरा कर आत्महत्या करने चलती है और शिव मंदिर के महंत गिरिबाबा उसे बचा लेते हैं, तो वह उनसे रूहानी प्रेम करने लगती है। रेवती की बुआ की उसी कारण देहरी यानी समाधि बनी थी, पर अब वह प्रण करती है कि लोक-लाज के भय से अब कोई देहरी नहीं बनेगी।.