डायरी लिखने के पीछे का मेरा कोई सुचिंतित उद्देश्य नहीं था। एक तरह से इसे मैंने स्वान्तः सुखाय लिखा। लेकिन शायद अवचेतन में यही था कि एक तरफ लोग अपने जेहन से जेल का खौफ निकाल दें और ठीक उसी समय यह भी समझ लें कि दुनिया को अगर खूब सूरत बनाना है तो जेलों पर बुलडोजर चला कर इस धरती से इसे नेस्तनाबूद करना ही होगा। आखिर मानवता ने अपना 99-99 प्रतिशत खूबसूरत जीवन बिना जेलों के ही तो बिताया है---
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