ABHIABHI

About The Book

मेरे प्रियइस संसार में हर एक प्राणी के जीवन की प्रतिदिन शुरुआत सुबह से होती है।हर जीवात्मा प्रतिदिन जो कुछ भी कार्य करती है उसमें अभीअभी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से ज़रूर होता है।इसीलिए मैंने अपनी इस रचना की शुरुआत सुबह से कर पहले ब्रह्म वन्दना करते हुए जो लिखा है उसे प्रभू को सौंपकर प्रभू का ध्यान मेरी ओर आकर्षित करने को कहा है।फिर मैंने अपने जीवन से जुड़ी हुई घटनाओं को जन्म के पहले से लेकर मृत्यु के बाद तक काल्पनिक व यथार्थ रूप में अंकित किया है और साथ ही ये घटनाऍं हर एक मानव के जीवन से भी जुड़ी हुई हैं।जिसमें बचपन यौवन वृद्धावस्था का सजीव चित्रण कर आपके समक्ष रख रहा हूँ जिससे कि इस रचना को पढ़ने में आपको अत्याधिक आनन्द और उत्साह मिलेऐसी मेरी मनोकामना व आशा है।
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