Abhigyaan Jeevan

About The Book

व्यक्तिगत भाव से ऊपर उठकर यदि हम समाज का चिन्तन मंथन करें तो हम पाते हैं कि सभी के जीवन के लिए एक अच्छा जीवन चाहिएयह तब स्थापित होता है कि जब हम साहित्य को शांति प्रेम और सभी मानवता के कल्याणार्थ सृजन करते हैं।हम उन सांस्कृतिक परम्पराओं को आगे बढ़ाते हैं जो सबके हित के लिए सृजित हों। यहां तक ही नहीं अपितु चराचर जगत के जीव बनस्पति और वह कार्य जो पृथ्वी को लगातार कालान्तर और अनन्त भविष्य का सन्तुलन बनाए रखने में सहायक हो। मेरे द्वारा प्रयास किया गया कि मेरे द्वारा सृजित साहित्य महान साहित्यकार के भावनात्मक संदेश को आगे बढ़ाने सहायक हो। दर्शन पर विश्व पटल पर मानवता की अमिट छाप छोड़ कर पाठकों के मन मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालने में सहायक हो। महान पुरुष और आध्यात्मिक प्रेरणा के प्रचारक और मानवता की पराकाष्ठा को छूकर जिन्होंने पार किया और पुरुषार्थ किया उनके आशीष और प्रेरक भावों से यह साहित्य आगे क्रियान्वयन करने में सहायक कर चरितार्थ हो।
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