कृष्ण बलदेव वैद की डायरियों की जो पुस्तकें इससे पहले प्रकाशित हुई हैं उन्होंने अपनी बेबाकी लेखक के निर्मम आत्मालोचन व्यक्तियों और घटनाओं पर तात्कालिक प्रतिक्रियाओं अनेक देशी-विदेशी लेखकों और कृतियों के आस्वादन और प्रासंगिक आकलन के लिए याद किया जाता है। उनका अनौपचारिक गद्य फिर भी एक बड़े लेखक का गद्य है और ये डायरियाँ अपने समय-समाज-साहित्य आदि को देखने गुनने का एक लेखकीय उपक्रम। उसके वितान में मित्र लेखक कलाकार आदि सब आते हैं और उसमें आपबीती रोचक ढंग से परबीती बनती जान पड़ती है।—अशोक वाजपेयी
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