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About The Book
Description
Author
साहित्य में ‘मंजरनामा’ एक मुक्कमिल फार्म है | यह एक ऐसी विधा है जिसे पाठक बिना किसी रूकावट के रचना का मूल आस्वाद लेते हुए पढ़ सकें| लेकिन मंजरनामा का अंदाजे-बयाँ अमूमन मूल राचन से अलग हो जाता है या यूँ कहें कि वह मूल रचना का इंटरप्रेटेशन हो जाता है | मंजरनामा पेश करने का एक उद्देश्य तो यह है कि पाठक इस फार्म से रू-ब-रू हो सकें और दूसरा यह कि टी.वी. और सिनेमा में दिलचस्पी रखनेवाले लोग यह देख-जान सकें कि किसी कृति को किस तरह मंजरनामे की शक्ल दी जाती है | टी.वी. की आमद से मंजरनामों की जरूरत में बहुत इजाफा हो गया है | गुलजार की लोकप्रिय फिल्म अचानक उनकी सभी फिल्मों की तरह संवेदनशील और सधी हुई फिल्म है जिसको अपने वक्त में बहुत सराहा गया था | दाम्पत्य-प्रेम पति-पत्नी के बीच भरोसे और शक भटकाव प्रतिहिंसा और पश्चाताप की महीन नक्काशी इस फिल्म की विशेषता है | इस पुस्तक में उसी फिल्म का मंजरनामा पेश किया गया है | पाठकों को दर्शक में तब्दील कर देनेवाली एक प्रभावशाली प्रस्तुति |