Acharya Chatursen Ki Pratinidhi Kahaniyan : आचार्य चतुरसेन की प्रतिनिधि कहानियाँ + Dharmputra : धर्मपुत्र (Set of 2 Books)

About The Book

‘आचार्य चतुरसेन की प्रतिनिधि कहानियाँ’ आचार्य चतुरसेन का चर्चित कहानी संग्रह है जिसमें मुगल काल के इतिहास की झलक देखने को मिलती है। इस कहानी संग्रह में उस दौर की राजनीतिक और मनोवैज्ञानिक धारणा को भी पाठकगण महसूस कर पायेंगे। इस संग्रह की कहानियों को पढ़ते हुए पाठकों को उस समय की विभिन्न सामाजिक संरचना चाहे वे धार्मिक हो या सामाजिक वर्णीय और वर्गीय राजाओं का पाखण्ड हो या वीरता उच्च बलिदान हो या नीचता उन तमाम बिन्दुओं को लेखक ने रेखांकित किया है जिनसे समाज प्रभावित होता है।यही नहीं लेखक दुनियाभर की जानकारी भी रखता है। इस संदर्भ को समझने के लिए उनकी एक कहानी ‘जार की अत्त्योष्टि’ भी महत्त्वपूर्ण है। सच्चा गहना हल्दी घाटी में जैसी कालजयी कहानियों ने इस संग्रह को महत्त्वपूर्ण बना दिया है।+धर्मपुत्र मनुष्य की अस्मिता के बारे में मूल प्रश्न उठाता है- क्या किसी इंसान का अस्तित्व इस बात पर निर्भर है कि वह किस परिवार में जन्मा या उसे किस प्रकार की शिक्षा संस्कार दिए गए या फिर इंसान की अस्मिता धर्म शिक्षा और संस्कारों से परे इंसानियत से जुड़े जीवन-मूल्यों से है। यह कहानी है हिन्दू और मुसलमान परिवार की जिनका आपस में प्रेम भरा संबंध है। मुस्लिम परिवार की जवान लड़की की नाजायज औलाद को हिन्दू परिवार अपना लेता है और हिन्दू संस्कारों से उसका पालन-पोषण करता है। जवान होते-होते यह लड़का कट्टर हिन्दू बन जाता है और उसकी धारणा है कि मुसलमानों को भारत छोड़ देना चाहिए। इसी दौरान उसे अपनी जन्म देनेवाली मां की सच्चाई का पता चलता है। मां और बेटे के आपसी संबंध होने के बावजूद वे नदी के दो अलग-अलग किनारों की तरह खड़े हैं और बीच में घृणा और अविश्वास की सुलगती नदी वह रही है।मशहूर फ़िल्म-निर्माता यश चोपड़ा ने 1961 में इस उपन्यास पर इसी नाम से फ़िल्म बनाई थी जो बहुत ही लोकप्रिय हुई थी।<br>आचार्य चतुरसेन जी साहित्य की किसी एक विशिष्ट विधा तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने किशोरावस्था में कहानी और गीतिकाव्य लिखना शुरू किया बाद में उनका साहित्य-क्षितिज फैला और वे जीवनी संस्मरण इतिहास उपन्यास नाटक तथा धार्मिक विषयों पर लिखने लगे।<br>शास्त्रीजी साहित्यकार ही नहीं बल्कि एक कुशल चिकित्सक आचाय चतुरसन भी थे। वैद्य होने पर भी उनकी साहित्य-सर्जन में गहरी रुचि थी। उन्होंने राजनीति धर्मशास्त्र समाजशास्त्र इतिहास और युगबोध जैसे विभिन्न विषयों पर लिखा। वैशाली की नगरवधू वयं रक्षाम और सोमनाथ गोली सोना औरखून (तीन खंड) रक्त की प्यास हृदय की प्यास अमर अभिलाषा नरमेघ अपराजिता धर्मपुत्र सबसे ज्यादा चर्चित कृतियाँ हैं।
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