बहुत ही अच्छी चल रही थी जिंदगी ।छोटी सी बच्ची ने 3 साल की उम्र में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड एसक्यूसी वर्ल्ड रिकॉर्ड ओएमजी बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज करा चुकी और एक्टर विवेक ओबेरॉय से भी मिल चुकी इतनी छोटी सी उम्र में और इतने सारे दोस्त बना चुकी कि जहां भी जाती बस छा जाती उससे खेलने वालों की भीड़ लग जाती हर त्यौहार मनाने का शोक जन्मदिन मनाने का शौक हर बात में इंवॉल्व रहने का शौक कितना कुछ कर लेती है छोटा सा बच्चा इतने फोटो शूट इतनी सारी चीजें कर चुकी इतने फैशन शो मैं जीत चुकी स्टार किड रह चुकी इतने सारे स्कूलों की बेबी शो कंपटीशन में जीत चुकी कितना कमाल कर दिया ना इस छोटी सी बच्ची ने कई बार न्यूज़ पेपर में भी नाम आ गया कितना मन खुश होता है ना और तो और 26 जनवरी गणतंत्रता दिवस पर भी सम्मानित चीन द्वारा सम्मान प्राप्त कर चुकी कितनी बड़ी बात है ना एक छोटी सी 3 साल की बच्ची के लिए सुनकर भी आश्चर्य होता है जबकि इतना बड़ा सा तो खेलने कूदने में ही इतनी उम्र निकाल देता है।हर कोई उससे खुश हैं हर कोई उसके साथ रहना चाहता है लेकिन मुसीबत के दिन जब शुरू होते हैं जब उसे शिक्षा दिलाने के लिए एक अच्छे स्कूल का चुनाव करना होता है और दूर होने की वजह से अच्छे स्कूल में नहीं दाखिला नहीं करवा पाते वही पास के स्कूल में दाखिला करवाने का लालच बच्चे को और माता-पिता को कितना भारी पड़ जाता है जब एक गलत स्कूल का चुनाव हो जाता है कैसे जिंदगी बदल जाती है एक आत्मविश्वास से भरा हुआ बच्चा कैसे डरपोक बन जाता है कि कमरे से बाहर निकलना ही बंद कर देता है स्कूल जाने की तो दूर की बात है जहां वह स्कूल जाने के लिए गाड़ियों के भी पीछे भागने लगता था आज वह घर से निकलने से भी डरने लगा स्कूल के नाम से भी चढ़ने लगा ऐसा क्या हो गया और फिर एक मां ने क्या कदम उठाया।और एक बार इस डर को निकालने के बाद यह डर यहीं खत्म नहीं हो जाता एक बार फिर से बच्चे के मन पर हावी हो जाता है उस वक्त जब कोरोनावायरस की वजह से पूरी दुनिया में लोग डाउन लग गया और अंदर ही अंदर बच्चा घर में रहने लगा फिर से वही डर कितनी बड़ी मुसीबत लेकर फिर से बच्चे की जिंदगी में आ जाता है और उस वक्त उस मुकाम पर पहुंच जाता है जहां से एक डॉक्टर की बहुत ही ज्यादा जरूरत होती है लेकिन मां उसे नहीं संभाल पा रही और उसी वक्त सभी क्लीनिक बंद हैं और डॉक्टर देख नहीं सकते तब क्या हुआ और बच्चे की जिंदगी को एक माने कैसे वापस उसी पटरी पर लाया लेकिन जो एक बार डर बैठ गया वह बार-बार हावी क्यों हो जाता है और दलित स्कूल में करवाने पर इतने बड़े-बड़े परिणाम भुगतने पड़ते हैं और वह भी इतने समय बाद भी कैसा होना चाहिए छोटे बच्चे के लिए स्कूल क्या एक फैशनेबल और डिजाइनर वन पीस शॉर्ट कपड़े पहनने वाली प्रिंसिपल और स्टाफ होना चाहिए या एक सभ्य प्रिंसिपल और स्टाफ।कैसा वातावरण होना चाहिए प्ले स्कूल का वहां पर क्या होना चाहिए और क्या नहीं होना चाहिए बच्चे को कैसे रखा जाना चाहिए यह जानकारी हर माता-पिता को होनी चाहिए।
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