Adhoore Ya Poore

About The Book

लंबे समय से मेरे मन और मस्तिष्क को झ़कझोरती हुई कुछ वास्तविक घटनाओं पर आधारित मेरा उपन्यास “अधूरे या पूरे...?” आप सभी सुधि पाठकों को समर्पित है। अलग-अलग समय व स्थान पर घटित घटनाओं को जोड़कर उन्हें कथारूप देते समय कल्पनाओं का सहारा जरूर लिया गया है लेकिन लेखन की संपूर्ण प्रक्रिया के दौरान मैंने अपने पैर ज़मीन पर ही जमाए रखे हैं। कोशिश की है कि उपन्यास को पढ़ते समय वर्णित घटनाएं पात्र व परिवेश परिचित से लगे। प्रत्येक आयु वर्ग के पाठकों व उनके पास उपलब्ध समय को ध्यान में रखते हुए कम शब्दों में अधिक बात कहने का प्रयास भी किया गया है। अतः पुस्तक का आकार जानबूझकर इतना ही रखा गया है कि सिर्फ ढाई-तीन घंटे की अवधि में सुविधा पूर्वक पढ़ी जा सके।
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