जैसा कि आपने मुख्य पृष्ठ पर किताब का शीर्षक देखा होगा - आफ़ताब-ए-क़लम जिसका हिंदी अनुवाद है- क़लम का सूरज। मेरा मानना है कि क़लम जीवन रूपी युद्ध में सबसे बड़ा शस्त्र है। जिसके पास क़लम की ताक़त है वह अज्ञानता के अँधेरे में भी ज्ञान का प्रकाश फैला सकता है और लोगों को सकारात्मक दृष्टिकोण का मार्ग दिखा सकता है। यह किताब ज़िंदगी के लगभग हर पहलू को समेटते हुए ज़िंदगी को देखने का सकारात्मक और नया नज़रिया प्रदान करती है। हर किसी की ज़िंदगी एक किताब लिखती है और किसी की किताब पढ़कर किसी की ज़िंदगी सँवरती है। यह किताब इसी कथन को सार्थक करने का प्रयास मात्र है। जिसमें ज़िंदगी से जुड़ा हर पहलू कविताओं के माध्यम से दर्शाने का प्रयास किया गया है। इस किताब में जन्म से लेकर मृत्यु तक व्यक्तिगत से सामाजिक तक माँ की ममता से लेकर प्रेमिका के प्रेम तक अतीत की यादों से सुनहरे भविष्य की कल्पनाओं तक नीरसता से पुनः उत्साह तक आदि यात्राओं को कविता रूप देने का प्रयास किया है। इसके साथ-साथ रिश्तों के अलग-अलग पड़ाव सामाजिक कुरीतियाँ जैसे दहेज प्रथा बालश्रम वैश्यावृति भ्रुण हत्या बलात्कार आसपास की राजनीति स्थिति इसके अलावा सौहार्दपूर्ण वातावरण वर्तमानकालीन शिक्षा और इसके प्रभाव में युवाओं की मनोदशा जिसमें बेरोज़गारी मुख्य सूत्रधार है आदि को कविताओं के माध्यम से बताने का प्रयास किया है।
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