अगम्या(एक आध्यात्मिक काव्य-संग्रह — गीत ग़ज़ल मुक्तक और छंदों का अद्भुत संगम)“अगम्या” केवल कविताओं का संकलन नहीं यह एक साधना है — एक ऐसी अंतर्यात्रा जो हृदय की गहराइयों से उठकर आत्मा के पार पहुँचती है। इस पुस्तक में सजी हर रचना भक्ति की भावना प्रेम की कोमलता और जीवन की सूक्ष्म अनुभूतियों से अभिसिंचित है।यह संग्रह समर्पित है उस चेतना को जो शब्दों से परे है पर शब्दों में प्रकट होती है। इसमें गीत हैं जो प्रभु श्रीराम और माता जानकी की महिमा गाते हैं ग़ज़ल हैं जो प्रेम की पीड़ा और सौंदर्य को छूती हैं मुक्तक हैं जो जीवन के सत्य को सहज भाषा में कहते हैं और छंद हैं जो परंपरा की गहराइयों में उतरकर आधुनिक मन को स्पर्श करते हैं।“अगम्या” — यह नाम मात्र एक शीर्षक नहीं एक भाव है। यह मेरी पुत्री का नाम भी है और उसी के समान यह कृति भी निष्कलंक निर्दोष और सरल है — जिसे समझना संभव हो पर पूरी तरह पा लेना फिर भी “अगम्य” रह जाए।यह पुस्तक उन पाठकों के लिए है—- जो कविता में ईश्वर खोजते हैं- जो शब्दों में शांति पाना चाहते हैं- जो जीवन के गूढ़ प्रश्नों के उत्तर भावों में तलाशते हैं।यदि आपके भीतर कहीं कोई सूक्ष्म स्पंदन है कोई मौन पुकार है कोई अनकही भक्ति है — तो “अगम्या” आपके लिए ही है।
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