अगस्त्य के महानायक श्रीराम वाल्मीकीय रामायण को आधार ग्रंथ मानकर गद्य-काव्य की शैली में लिखा गया चरित्र काव्य है। इस काव्य में इक्ष्वाकु वंशीय अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र श्रीराम समस्त मानवीय वृत्तियों से परिपूर्ण चरित्र हैं। इस काव्य में श्रीराम का चरित्र रामकथा के घटनाक्रम से अधिक महत्वपूर्ण है। यहाँ सूत्रधार श्रीराम के जीवन से जुड़ी आवश्यक घटनाओं का वर्णन करते हुए स्वयं श्रीराम को अवसर देता है कि वे अपने मानव शरीर के अंतर का द्वंद्व भी सहजता से प्रस्तुत करें। यह काव्य रामायण नहीं है श्रीराम की गाथा है। इस काव्य में राम का चरित्र रूढ़िवादी ईश्वरीय चरित्र नहीं समय सापेक्ष है। यह एक साहित्यिक रचना है भक्ति-काव्य नहीं है। यह बताना भी आवश्यक है कि इस पुस्तक के अनेक महत्वपूर्ण प्रसंगों के नाट्य रूपांतरण का प्रस्तुतीकरण हमारे समय के सिनेमा टेलिविजन और नाटकों के प्रसिद्ध अभिनेता श्री राजेंद्र गुप्ता द्वारा देश के अनेक भागों में किया गया है। इस उपक्रम से यह स्थापित हुआ है कि श्रीराम सम्पूर्ण भारतीय संस्कृति के महानायक हैं। उनके आदर्श भारतीयता के समग्र स्वरूप को भास्वित करते हैं और धर्म और जाति से परे सब के लिए आदर्श हैं।
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