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About The Book
Description
Author
अगर एक ही किताब में पाठक को Motivation Spritual Humor Thriller Mystery Psychology Poetry Romance Philosophy पढ़ने को मिल जाए तो ये सोने पे सुहागा है। और इस किताब में आपको ये सारा मसाला मिलेगा इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं है। अज्ञात सफ़र युवा पीढ़ी के जीवन पर आधारित एक मनोवैज्ञानिक उपन्यास है। जिसे मनोवैज्ञानिक सूत्रों के आधार पर समझाया गया हैं। जिसमें एक ही कहानी में अनेकों कहानियाँ मंडराती रहती हैं। कहानी का प्रत्येक किरदार और परिस्थिति आपको इस कहानी का हिस्सा बनने पर मज़बूर करती है। कहानी की शुरुआत में ही अनेकों प्रश्न खड़े हो जाते हैं जिनका जवाब कहानी के भीतर घुसने पर मिलता है। इस कहानी में हास्य दुःख जैसे सभी रसों का अनोखा समावेश हैं। वैसे तो यह उपन्यास सभी वर्गों के लिए हैं पर मुख्य ज़ोर युवा पीढ़ी पर हैं। यह कहानी ब्रह्मा नगरी पुष्कर की है। जिसकी शुरुआत मिश्रा जी से होती है जो कि कहानी को रहस्यमयी बनाती है। कहानी का पात्र नकुल काफ़ी ज़िद्दी स्वभाव का है और वो अपनी ज़िद्द पर अपनी हर इच्छा पूरी करना चाहता है जिसमें उसका परम मित्र प्रदीप पूरा सहयोग करता है। प्रदीप की हर हरकत आपको हँसने पर मज़बूर करती है। कहानी का अंत काफ़ी हद तक दुःखान्त है। कहानी एक रहस्य अपने साथ लेकर चली जाती है कि नकुल अपने दुखो का अंत करने के लिए न जाने कौनसे अज्ञात सफ़र पर निकल चुका है जो कहानी के द्वितीय खंड में जानने को मिलेगा।