स्वामी जी की समाधि टूटी तो आरम्भ हुआ प्रवचन व सत्संग का सिलसिला। कितने ही दिनों तक वो रोचक कथाएँ सुनाते रहे व गाँव वाले भाव विभोर होकर उनका सत्संग सुनते व साथ ही साथ अनेक प्रकार के अलौकिक अनुभव भी करते रहे। चारों मित्र व नानी इस अमृत वर्षा में भीग कर अपनी सुध बुध खो देते ... मधुलिका की नृत्य साधना निरंतर कितने ही वर्षों तक चलती रही वो चपल चंचल तरुणी नृत्य के माध्यम से अपने इष्ट की आराधना करती व अपने जीवन को अपने आराध्य का आशीर्वाद ही मानती फिर उसके इष्ट उससे क्यों रुष्ट हो गए? मलय के जीवन के उतार चढ़ाव उसे किस सीमा तक प्रभावित कर सकते हैं इसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी ...
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