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About The Book
Description
Author
मन के एहसासों को पिरोकर ही कविता तैयार होती है और वो एकाकी मन का शोर होती है । कभी कुछ ऐसा घटित हो जाता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते । कभी-कभी मन बोझिल हो जाता है बिल्कुल उदास ... परेशान कभी मन प्रेम में डूब जाता कभी कृष्ण की राधिका तो कभी मीरा सी दीवानी बन जाता है मन कभी बच्चों को समझाता; तो कभी खुद बच्चा बन जाता मन... कितना कुछ मन में होता है और कितना कुछ यह कहता है ।