This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.अप्रमाद साधना का सूत्र है। अप्रमाद साधना है। अहिंसा-वहह परिणाम है. हिंसा स्थिति है। अपरिग्रह-वहह परिणाम है परिग्रह स्थिति है। अचौर्य-वहह परिणाम है चौर्य चोरी स्थिति है। अकाम--वह परिणाम है काम वासना कामना स्थिति है। इस स्थिति को परिणाम तक बदलने के बीच जो सूत्र है वह है--अप्रमाद अवेयरनेस रिमेंबरिंग स्मरण। प्रत्येक क्रिया स्मरणपूर्वक हो और प्रत्येक क्रिया होशपूर्वक हो। और एक भी क्रिया ऐसी न हो जो कि बी में हो रही हो। तो बस आपकी धर्मयात्रा शुरू हो जाती है।ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु:अहिंसा अपरिग्रह अचौर्य अकाम अप्रमाद ब्रह्मचर्य सावधिक संन्यासः नये संन्यास की धारण तंत्रः काम-ऊर्जा के रूपांतरण का विज्ञान.प्रेम के अतिरिक्त कोई श्रवण नहीं है।<br/>तो यारी पहले बननी चाहिए। प्रेम पहले बनना चाहिए तब ज्ञान। प्रेम के पीछे आता है ज्ञान। और जिसने सोचा कि ज्ञान के पीछे प्रेम आएगा वह भूल में पड़ा। उसने बैल पीछे बांध दिए गाड़ी के। यह गाड़ी अब कहीं जाएगी नहीं। प्रेम पहले आता है। भाव पहले आता है। हृदय पहले आता है¬- -तब सिर। जिसने सोचा कि पहले सिर फिर हृदय को ले आएंगे वह कभी भी नहीं ला पाएगा। क्योंकि सिर तो हृदय के खिलाफ है और हृदय को कभी उमगने न देगा। सिर तो संदेह है। और हृदय है आस्था श्ऱद्धा। तो सिर तो हजार उपाय करेगा संदेह खड़े करने के। सिर में तो संदेह ही लगता है। सिर से कभी श्रद्धा नहीं होती। श्रद्धा हृदय से होती है। सरलचितता चाहिए। विनम्रता चाहिए। अकड़ का अभाव चाहिए। प्रेम में पड़ने की हिम्मत चाहिए।
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