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About The Book
Description
Author
सुमेधा एक झटके से उठ कर बैठ गयी...और घबराते हुए इधर उधर देखने लगी....वो भयानक साया और उसकी लाल आंखे अब भी उसके जेहन में घूम रही थी....उसने अपना सर पकड़ लिया जो बहुत दर्द कर रहा था एक तो टूटी हड्डी का दर्द ऊपर से अब सर भी बहुत दर्द हो रहा था....शायद सुबह हो चुकी थी...थोड़ी बहुत रोशनी उस अंधेरी कोठरी में भी आ रही थी....सुमेधा ने अपने टूटे हुए पैर को देखा...टूटी हुई हड्डी साफ नजर आ रही थी....और सूजन भी काफी बढ़ चुकी थी..ये वो अच्छी तरह से जानती थी कि अगर समय पर इसका इलाज न किया गया तो इन्फेक्शन बढ़ने की वजह से उसका पैर सड़ने लगेगा और काटना भी पड़ सकता है....यहाँ तो जिंदगी के लाले पड़े हैं और उसे पैर की चिंता हो रही है....उसे अपने ही विचार पर गुस्सा आने लगा! उसे प्यास भी लग रही थी और भूख भी....