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About The Book
Description
Author
मनुष्य में आकांक्षा ही जीवन है। आकांक्षा जीवन निर्मूल है। हमारी आकांक्षा ही हमंे ऊर्जावान बनाती है। आकांक्षा ही जीवन का आधार है। आकांक्षा मुक्त व्यक्ति निष्प्राण है। मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन आकांक्षा मे ही परिभ्रमण करता रहता है। हमारी आकांक्षा ही हमारी चेतना है आकांक्षा ही सरिता का कल-कल ध्वनि है नभ में इन्द्रधुनषी बल है आकांक्षा नदियों का निवाद् है। आकांक्षा कर्मों का फल हे। आकांक्षा ही गंगा का जल है। आकांक्षा ही लंका का निर्माण हे आकांक्षा ही राम का बाण है। आकांक्षा सहरज तम् है। आकांक्षा ही सत्यम् शिवम् सुन्दरम् हैं। आकांक्षा ही विहान है उगते सूरज हर्ष परिणाम है। आकांक्षा विचार है आकांक्षा सभी खोजो को प्रारम्भ है आकांक्षा ही सत्य का उद्गम है। हमारी उत्पŸिा का कारण आकांक्षा ही है।