स्त्री अस्मिता को लोक अस्मिता से अनुबंधित करने की विशिष्ट शैली के कारण हिंदी कविता में सोनी पांडेय की एक अलग पहचान बनी है। उनके इस नए संग्रह में स्त्री चेतना के विस्तार को कई स्तरों पर देखा जा सकता है। विडंबना करुणा और संघर्ष के विविध रूप इन में दिखाई देते हैं। इसमें नइहर और ससुराल के बीच बँटी चेतना का अधूरापन है तो इस कठोर यथार्थ की प्रतीति भी कि ‘उनका लौटना उतना ज़रूरी नहीं है/ जितना ज़रूरी है घर में अन्य’। इन सब के बीच भी बची हुई हैं उम्मीदें। अच्छी और उल्लेखनीय बात यह है कि उनके पास उम्मीदों को विश्वसनीय बनाकर पेश करने की कला है।- मदन कश्यप
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.