पन्द्रह दृश्यों में सृजित नाटक ''अक्षर कलश छलके...'' में दर्शाया गया हैं कि साक्षरता सूची में विशेषकर महिलाओं के साक्षरता आंकड़ा में वृद्धोत्तरी करने सरकारी योजना ''प्रौढ़ महिला साक्षरता अभियान'' के तहत निरक्षर महिलाओं को इस अभियान का हिस्सा बनाया गया और योजना को अमलीजामा पहनाने योजना प्रभारी गुरुजी को व्यवधानों से दो-चार होना पड़ा। चूल्हे-चौका संभालने वाले चकले-बेलन पकडऩे वाले हाथों ने कलम थामकर दोहरी भूमिका निर्वहन करते हुये खिड़की भर धूप की चारदीवारी में अपने हिस्से की धूप छीनी और विकासोत्पादक की ओर कदम बढ़ाते हुये समझ लिया हैं कि साक्षरता के साथ शिक्षित होना ही सामाजिक बदलाव यानि वैचारिक बदलाव की पृष्ठभूमि हैं।
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