उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद ने कई अद्भुत कृतियां लिखी हैं। उनकी रचना दृष्टि विभिन्न साहित्य रूपों में अभिव्यक्त हुई हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं में जनसाधारण की भावनाओं परिस्थितियों और उनकी समस्याओं का मार्मिक चित्रण किया। 'अलंकार' भी प्रेमचंद के उपन्यास संग्रह का एक बेजोड़ नगीना है। यह धर्म भक्ति अध्यात्म नैतिकता के साथ ही आत्मग्लानि को समेटते हुए लिखी गई एक उत्कृष्ट रचना है। इस उपन्यास में बड़े और कठिन व्रत धारण करने वाले तपस्वी हैं तो उनको बहकाने और धर्म मार्ग से विरक्त करने के लिए राक्षस और दैत्य भी उपस्थित हैं। इसकी कहानी नील नदी के तट पर रहने वाले तपस्वियों से आरंभ होती है। जो अपने पूर्वपुरुष के पापों का प्रायश्चित करने के लिए अपनी देह को भोगविलास से दूर रखते थे।
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