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About The Book
Description
Author
“प्रिय कुलतारआज तुम्हारी आँखों में आँसू देखकर बहुत दुख हुआ। आज तुम्हारी बातों में बड़ा दर्द था। तुम्हारे आँसू मुझसे सहन नहीं होते। बरखुरदार हिम्मत से शिक्षा प्राप्त करना और सेहत का खयाल रखना। हौसला रखना। और क्या कहूँ...‘उसे यह फिक्र है हरदमनया तर्जे जफा क्या है?हमें यह शौक देखेंसितम की इंतेहा क्या है?दहर से क्यों खफा रहेंचर्ख का क्यों गिला करें?सारा जहाँ अदू सहीआओ मुकाबला करें।कोई दम का मेहमान हूँए अहले महफिल!चरागे सहर हूँबुझा चाहता हूँ।मेरी हवाओं में रहेगीखयालों की बिजलीयह मुश्त-ए-खाक हूँरहे रहे न रहे।’अच्छा रुखसत। ‘खुश रहो अहले वतन हम तो सफर करते हैं।’ हौसले से रहना।” -भगत सिंहयुवावस्था में ही ‘रष्ट्र सर्वोपरि’ का मंत्र जपकर जिसने भारत की स्वतंत्राता के लिए फाँसी के फंदे को चूम लिया और अपनी शहादत से युवाओं के लहू में देशभक्ति का उबाल पैदा करके मिशन-ए-आजादी का महामंत्र फूँका ऐसे महान् क्रांतिकारी एवं राष्ट्र-चिंतक अमर शहीद भगतसिंह की प्रेरणादायक जीवनी।