‘अमर शक्ति’ हिन्दी साहित्य की परम्परागत छन्दबद्ध शैली या तुकान्त विधा में लिखा गया एक अध्यात्मपरक काव्य है । इसका रचनाकाल वर्तमान वर्ष ’ 2020 ई0 के कोरोना-काल का है । जून-जुलाई के महीने में कवि ने यह रचना जन-जन के लाभार्थ फेसबुक पर क्रमश: पोष्ट की थी । तब इसे सोशल-साईट के पाठकों ने काफी सराहा था । कवि राजयोग-साधना का अभ्यासी है । प्रस्तुत काव्य-पुस्तक उसके गहन साधनामय क्षणों का प्रतिफल है । उसे साधना के मौन और एकान्त पलों में आत्मशक्ति का जो स्वरूप अनुभव हुआ उसे उसने सरल-भावगम्य शब्दों में वैसा ही कहने का प्रयास किया है । कवि की कोशिश इस कृति के माध्यम से प्राचीन ऋषि-परम्परा के कल्याणकारी आन्तरिक मूल्यों को पुन: स्थापित करने की है । उसका उद्देश्य केवल अपने पाठकों का मनोरंजन करना नहीं बल्कि उनका नैतिक एवं चारित्रिक उत्थान करना भी है । ‘अमर शक्ति’ का रचना-कलेवर ज्यादा वृहद या विस्तारपूर्ण नहीं है और न ही इसमें किन्हीं अन्तर्कथाओं को स्थान दिया गया है बल्कि इसमें तो आत्मा की आवाज को आत्मा तक कहने की चेष्टा की गई है । कुछ जगहों पर रचनाकार ने जगत में छाए अंधविश्वास और अज्ञानतम को तोड़ने के लिए अपनी बात को कुछ दृढ़ता और कठोरता के साथ कहने की कोशिश की है लेकिन इतना होकर भी उसने तर्क और विवेक के दामन का साथ लेना नहीं छोड़ा है ।
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