भारत भूमि में जन्मे अमीर ख़ुसरो खड़ीबोली के प्रथम कवि सूफ़ी-संत दार्शनिक इतिहासज्ञ और गणितज्ञ थे जिनका नाम मध्ययुगीन भारत में साहित्य धर्म अध्यात्म इतिहास जैसे अनेक संदर्भों में बहुत गौरव के साथ लिया जाता है। अमीर ख़ुसरो उदार सूफ़ी साधना के प्रवर्तक हिन्दू-मुस्लिम एकता के अग्रदूत सांस्कृतिक-समन्वय के सेतुबन्ध भारतीय संगीत के उन्नायक ही नहीं बल्कि ‘जननी जन्मभूमि’ के प्रति अगाध प्रेम रखनेवाले पक्के राष्ट्र-प्रेमी भी थे। उनकी साहित्य-साधना का मूल-मंत्र ‘समन्वय’ ही रहा है। भाषा के क्षेत्र में सांस्कृतिक क्षेत्र में कविता के क्षेत्र में सामाजिक क्षेत्र में और अन्य सभी क्षेत्रों में मानवतावादी दृष्टिकोण को रखकर सबका समन्वय करना ही उनका महान लक्ष्य रहा है। संपूर्ण हिन्दी काव्य-भंडार में देश-प्रेम की भावना को इतने मार्मिक प्रभावोत्पादक ढंग से अभिव्यक्ति देनेवाला कोई दूसरा कवि हमें नज़र नहीं आता। बहुमुखी प्रतिभा संपन्न अमीर ख़ुसरो के योगदान को समझने के लिए यह ग्रंथ बहुत सहायक है। डाॅ. मलिक मोहम्मद के कुशल संपादन में तैयार इस ग्रंथ में अमीर ख़ुसरो के व्यक्तित्व कृतित्व के योगदान के विविध पहलुओं पर विद्वान् लेखकों द्वारा लिखे लेख सम्मिलित हैं। डाॅ. मलिक मोहम्मद मध्यकालीन साहित्य के मूर्धन्य विद्वान् व आलोचक थे जो कालिकट विश्वविद्यालय में आचार्य एवं अध्यक्ष रहे। उनकी प्रमुख पुस्तकें हैं - ‘अलवर भक्तों का तमिल प्रबंधन’‘ वैष्णव भक्ति आंदोलन का अध्ययन’ और ‘हिन्दीतर साहित्य को अहिन्दीतर प्रदेशों की देन’।
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