------:लेखक के दो शब्द :------ (अमृत बहार ) रीति कुरीति को भेदता हुआ संस्कार एवं समाज में फैली दुर्भाव से प्रेरित आचरण को परिलक्षित करती कहानियों का दौर तो दशकों से लेखक का केंद्र बिंदु रहा है.. प्रेम और उद्गार भी मानव सोच का प्रतिबिम्ब होता है.. लेखक इन सारे उद्गारों को उचित स्थान देकर कहानी को रोचक बनाता है.. कहानी को रोचक और मृदु बनाने के लिए कुछ काव्य पंक्तियों को भी जगह दिया गया है.. मेरी अतुल प्यार नामक कहानी में बड़े भाई का छोटे भाई के साथ प्रेम प्रसाद को मधुर बनाने के लिए निम्न पंक्तियों को स्थान दिया गया है.. भ्राता प्रसाद पीर भरी थी माँ की ममता पीर हरी थी मनुज मनुज का भेद यहाँ है सत्कार भ्राता का दुःख भरी थी अगन परीक्षा की बारी अब थी चिंगारी से होना था आँखें चार दृढ़ संकल्प संग ले नरेन् जी चले करने दिल का उपचार.. मुंशी प्रेम चंद की कहानियाँ मुझे काफी प्रभावित करती है उनकी कहानियाँ उस समय के परिवेश के साथ आज भी प्रासंगिक है लेकिन आधुनिक परिवेश की चुनौतियाँ और भी बहुत कुछ है.. वर्तमान सामाजिक चुनौतियों को अपने इस कहानी संग्रह में बखूबी चमकाया गया है.. कहानियों के पात्र भी आधुनिकता के साथ चुनाव किया गया है.. कुछ कहानियाँ जीवन दर्शन पर आधारित हैं तो कुछ मेरे अपने जीवन के अनुभव पर.. पाठकों के मनोरंजन का भी काफी ख्याल रखा गया है.. नारायण स्वरुप पाठक ही बता पाएंगे कि मैं उन्हें सही मोती दे पाया या नहीं.... हमारे सम्माननीय पाठक वृन्द के सुझावों का इंतजार रहेगा... परमेश्वर दास परमेश
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