AMRIT DWAR
Hindi

About The Book

‘सदगुरु के शब्द तो वे ही हैं जो समाज के शब्द हैं। और कहना है उसे कुछ जिसका समाज को कोई पता नहीं। भाषा तो उसकी वही है जो सदियों सदियों से चली आई है—जराजीर्ण धूल धूसरित। लेकिन कहना है उसे कुछ ऐसा नित नूतन जैसे सुबह की अभी ताजी ताजी ओस कि सुबह की सूरज की पहली पहली किरण! पुराने शब्द बासे सड़े गले सदियों सदियों चले थके मांदे उनमें उसे डालना है प्राण। उनमें उसे भरना है उस सत्य को जो अभी अभी उसने जाना है—और जो सदा नया है और जो कभी पुराना नहीं पड़ता ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय बिंदु: विज्ञान और आध्यात्मिक अंधविश्वास प्रेम: संसार और परमात्मा के बीच का सेतु जीवन रूपांतरण के सूत्र शास्त्र और किताब का फर्क
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