अमृतवाणी एक ऐसी पुस्तक जो सारे लोगों के लिए एक संदेश देना का कार्य करेगी। जीवन में पल पल खुशियां मिले और आप हमेशा स्वस्थ रहें यही है संदेश अमृतवाणी का। वास्तव में यह मेरी संगीत साधना का यह फल मुझे मिला है जो इस तरह की पुस्तक में लिख रहा हूं। मैं कई बार अपना संदेश नेट पर दे चुका हूं। संगीत करने वाले जितने भी लोग हैं यानी जितने संगीतज्ञ हैं वे संगीत की साधना नित्य प्रति करें। साधना करते करते आप जब साधना की उस बुलंदी को छुने लगेंगे तब आपमें ईश्वर अंश दिखने लगेगा। और खुद आपको इसकी अनुभूति होगी। जिनको अगर अनुभूति नहीं होती है तो वे साधना अनवरत जारी रखें। और अपने आप को घृणा ईर्ष्या द्वेष क्रोध और अहंकार से मुक्त रखें। तभी आपका संगीत सजीव होगा और आप सेहतमंद भी रहेंगे। अमृतवाणी पुस्तक शुरू से आखिरी तक आप अवश्य पढ़ें आपको जीवन जीने का तरीका आएगा और आपके अंदर के सारे अवगुण मिट जायेंगे और आपमें अच्छाइयां हीं अच्छाइयां नजर आने लगेंगी। यह पुस्तक मैने लिखना शुरू उस समय किया जब कोरोना की पहली लहर ने मार्च 2020 को दस्तक दिया। मैं। समझता हूं पहले व्यक्ति को अपने मन को शुद्ध करना चाहिए । कलुषित मन व्यक्ति को बीमार कर देता है। मन को शुद्ध करने के लिए आपको घृणा ईर्ष्या द्वेष क्रोध और अहंकार पर विजय प्राप्त करना होगा। मन शुद्ध हो गया तो आपका शरीर भी स्वस्थ रहेगा और फिर कोरोना हो या और कोई बीमारी उसका हमला आप पर नहीं हो पाएगा। बच्चों में कोरोना का प्रभाव नहीं के बराबर देखा गया है इसका एकमात्र कारण है कि वे घृणा ईर्ष्या द्वेष क्रोध और अहंकार से अनभिज्ञ हैं। इसलिए उनका शरीर स्वस्थ है। यही कारण है की सरकार की ओर से बच्चों को कोरोना का वैक्सीन नहीं देने का आदेश पारित किया गया था। कोरोना के साथ साथ हमारा देश पड़ोसी देशों से भी परेशान रहता है।
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