जिसने यह जान लिया कि भगवान को नहीं जाना जा सकता उसने भगवान को जान लिया है - वेद </br></br>क्या आपको वेद और पुराण बोरिंग लगते हैं? क्या आप कोई ऐसा माध्यम चाहते हैं जिससे आसान लहज़े में आप वेद की गूढ़ बातों का सारांश बिना किसी पूजा-पाठ या कर्मकांड की सिफारिश के जान सकें तो आप की तलाश इस किताब पर ख़त्म होती है |</br></br>समय की शुरुआत से ही हर इंसान खुशी और आनंद प्राप्त करने की जद्दोजहद में लगा हुआ है लेकिन जीवन की आपाधापी के बीच इंसान खुद से यह पूछना ही भूल गया कि जिस खुशी की तलाश में वह दौड़ रहा है वह खुशी कहाँ और कैसे मिलेगी। जो खुशी एक छोटे बच्चे को खिलौने से मिलती है वही खुशी एक शराबी को शराब से मिलती है। तो खुशी सुख या आनंद की असली परिभाषा क्या है? और हमारी परिभाषा क्या है हम कौन हैं? भगवान कौन है? संसार क्या है? यह किताब उपनिषद पुराण और भगवद्गीता के माध्यम से जीवन की ऐसी ही उलझनों के समाधान ढूंढने का एक प्रयास है।
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